Bihar Education Department Additional Chief Secretary KK Pathak अपने आदेश को लेकर लगातार चर्चा में हैं। शिक्षा व्यवस्था में सुधार के लिए उनके द्वारा लगातार उठाए जा रहे कदम अब कई स्कूलों में दिखने लगे हैं। लेकिन अभी भी कई ऐसे स्कूल हैं जहां छात्रों की उपस्थिति कम है, ऐसे में केके पाठक ने एक बार फिर सभी जिलों के डीएम को पत्र लिखा है।
इस पत्र में उन्होंने कहा कि राज्य भर में स्कूल में बच्चों की उपस्थिति बढ़ाने के लिए आरडीडी, डीईओ और डीपीओ प्रत्येक स्कूल में स्वयं हस्तक्षेप करेंगे और सभी छात्रों और उनके अभिभावकों से बात करेंगे। साथ ही उन्होंने नामांकन लेने के बाद स्कूल नहीं आने वाले छात्रों का एडमिशन रद्द करने का भी आदेश दिया है। उन्होंने कहा कि ऐसा करने से राज्य सरकार को सीधे तौर पर 300 करोड़ रुपये की बचत हो सकती है।
अनुपस्थित छात्रों का नामांकन रद्द करने का निर्देश
अपर मुख्य सचिव केके पाठक द्वारा लिखे गए पत्र में ऐसे छात्रों और उनके अभिभावकों से बात करने के भी निर्देश दिए गए हैं जो लगातार तीन दिनों से अनुपस्थित हैं। ऐसे विद्यार्थियों को विद्यालय के प्रधानाध्यापक को नोटिस देना चाहिए, वहीं लगातार 15 दिनों तक अनुपस्थित रहने पर छात्र का नामांकन रद्द कर दिया जाये।
केके पाठक ने कहा कि विभाग को जानकारी मिली है कि कई छात्रों ने सिर्फ सरकार द्वारा चलायी जा रही योजनाओं का लाभ लेने के लिए नामांकन कराया है, ऐसे छात्रों की ट्रैकिंग की जाए। साथ ही दो विद्यालयों में नामांकित छात्रों का प्रवेश भी रद्द किया जाये।
शिक्षा विभाग ने दिया निर्देश, सभी डीपीओ पांच-पांच स्कूलों को लें गोद
बिहार शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक ने सभी डीएम को निर्देश दिया है कि वे अपने जिले के डीईओ और डीपीओ को पांच-पांच स्कूल गोद लेने को कहें। वहीं जिस डीपीओ के क्षेत्राधिकार में ऐसा विद्यालय नहीं है, जहां छात्रों की उपस्थिति 50 प्रतिशत से कम हो, उन्हें क्षेत्राधिकार से बाहर का भी विद्यालय दिया जाये।
ये सभी अधिकारी रोजाना गोद लिए गए स्कूलों में जाकर वहां की व्यवस्था और छात्रों व शिक्षकों की उपस्थिति का निरीक्षण करेंगे।
सभी विद्यार्थियों की ट्रैकिंग के निर्देश
विभाग ने कहा है कि सभी छात्रों को ट्रैक करने का निर्देश दिया गया है, यह देखा जाना चाहिए कि छात्र एक ही समय में दो स्कूलों में पढ़ रहे हैं या नहीं। ऐसे विद्यार्थी नाम कटने के डर से लगातार 15 दिनों तक अनुपस्थित नहीं रहते और समय-समय पर हमारे विद्यालय आते रहते हैं। विभाग को शिकायत मिली है कि डीबीटी लेने के लिए छात्रों ने सिर्फ सरकारी स्कूलों में ही नामांकन कराया है, जबकि वे जिले या जिले के बाहर निजी स्कूलों में पढ़ते हैं।
वहीं, कुछ छात्रों के राज्य से बाहर (कोटा आदि) रहने की भी जानकारी है। इस कारण ऐसे हर मामले को ट्रैक किया जाना चाहिए और ऐसे छात्रों का नामांकन रद्द किया जाना चाहिए, जो केवल डीबीटी के उद्देश्य से Bihar School Examination Board के सरकारी स्कूलों से जुड़े हैं।
केके पाठक ने बच्चों की उपस्थिति 50 प्रतिशत से कम रहने पर चिंता जतायी
शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पठान ने स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति 50 फीसदी से कम रहने पर चिंता जतायी और सभी डीएम को दिशा-निर्देश भेजा है। उन्होंने कहा है कि एक जुलाई से BSEB Bihar Board स्कूलों में मॉनिटरिंग सिस्टम शुरू कर दिया गया है।
इसके तहत लगातार स्कूलों का निरीक्षण किया जा रहा है, जुलाई के बाद से 50 प्रतिशत से कम उपस्थिति वाले स्कूलों की संख्या में कमी आई है, लेकिन अभी भी लगभग 10 प्रतिशत स्कूल ऐसे हैं जहां छात्रों की उपस्थिति 50 प्रतिशत से कम है, जो चिंता का विषय है। ऐसे में सभी आरडीडी, डीईओ और डीपीओ को चरणबद्ध तरीके से काम करना होगा।
सीधे तौर पर 300 करोड़ रुपये की बचत होगी
विभाग के अनुसार, राज्य सरकार हर साल विभिन्न योजनाओं के तहत करीब 3000 करोड़ रुपये की डीबीटी सहायता देती है।अगर ऐसे छात्रों में से 10 प्रतिशत का भी नामांकन रद्द कर दिया जाता है, जो केवल डीबीटी के उद्देश्य से यहां नामांकित हैं और कहीं और पढ़ रहे हैं। तो राज्य को लगभग मिलेगा, 300 करोड़ रुपये की सीधी बचत होगी। साथ ही पांच स्कूलों को भी आरडीडी को अपनाना चाहिए। साथ ही प्रचार-प्रसार भी करें।
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